प्रणाम करती हूँ अपने जन्मदाता को
वह भाग्य-विधाता तो नहीं
जीवनदाता जरूर है
जीना सिखलाया
ऊंगली पकड़ चलना सिखलाया
संघर्षों का सामना करना सिखाया
हार को जीत में बदलना सिखाया
हर वह बात सिखायी
जो तरक्की की राह पर ले जाती
सबसे बडी देन है उनकी पढाई
ज्ञान था किताबी
वह पडा सब पर भारी
रोटी ही क्यों बनाएं बेटी
कपड़ा - बर्तन , साफ - सफाई
यह कोई मुश्किल नहीं भाई
पहले कमाई
उसके दम पर सब हो जाई
सबसे बडा रूपैया
जब वह हो जेब में
तब जम जाय सब
ज्ञान है जरूरी
जो करता जीवन की हर कमी पूरी
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Friday, 25 December 2020
ज्ञान है जरूरी
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