चलो , चले कहीं भाग चलें
जहाँ कोई न हो
बस मैं और तुम
बहुत ढो लिया जिम्मेदारियों का बोझ
समय बीता हालात नहीं बदले
एक खत्म नहीं कि दूसरा शुरू
अब तो थक गये हैं
उम्र भी हो गई है
तब भागे थे
एक नई दुनिया बसाने को
साथ - साथ रहने को
सबका विरोध
घर- परिवार का
आज फिर भागना है
वहीं इतिहास फिर दोहराना है
तब माँ - बाप को छोड़ा था
आज बेटे - बेटी को छोड़ना है
तब नई दुनिया बसाई थी
आज भी नई बसाना है
जहाँ कोई न हो
बस मैं और तुम
इस जंजाल से निकल
जीवन के कुछ बचे - खुचे दिन
अब चैन से जीना है
युवा ही भागे यह जरूरी नहीं
वृद्ध भी भाग सकते हैं
एक मिसाल कायम कर सकते हैं
लडखडाते पैरों में अभी भी इतनी जान तो बाकी है
सम्मान से गुजर - बसर कर सकते हैं
जिंदगी भर जोड़ जोड़ कर जो रखा है
वह किस दिन काम आएगा
कुछ अपने ऊपर ही खर्च कर लें
कल का तो कोई नहीं जानता
आज तो कुछ ऐसा कर लें
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