Thursday, 21 January 2021

यही हर कोई चाहता है

खिड़की में खडा वह देख रहा था
एक गरीब कचरे के ढेर से कुछ उठा रहा था
उसे लगा वह कितना भाग्यशाली है
सब कुछ मिला है
गरीब ने भी एक अपाहिज व्यक्ति को देखा
जो चलने फिरने में असमर्थ
उसे महसूस हुआ
वह कितना भाग्यशाली है
उसके सारे अंग सही सलामत है
अपाहिज ने एक बीमार को देखा एम्बुलेंस में रखते हुए
उसे महसूस हुआ
वह अपंग है पर बीमार नहीं
उसे लगा वह कितना भाग्यशाली है
बीमार व्यक्ति ने देखा
अस्पताल के गेट से एक मृत शरीर को ले जाते हुए
उसे महसूस हुआ
वह कितना भाग्यशाली है
जीवित है और अच्छा भी हो जाएंगा
लाश तो लाश
वह तो कुछ बोल और सोच नहीं सकती
निष्कर्ष तो यही है
जीवन से अनमोल कुछ नहीं
अंगों का रुपयों से मोल नहीं
सही सलामत शरीर
उसमें धडकती सांस
चलती रहें
यही हर कोई चाहता है

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