Friday, 8 January 2021

दो बच्चे और उनका बचपन

राम और श्याम
दोनों जिगरी दोस्त
एक सरकारी स्कूल
एक प्राइवेट
दोनों में कहीं तालमेल नहीं
तब भी दोस्ती हो ही गई
दोस्ती बडा - छोटा
अमीरी-गरीबी नहीं देखती
अगर ऐसा होता
तब कृष्ण - सुदामा दोस्त नहीं होते

राम खूब आलिशान बहुमंजिला ईमारत मे रहता
श्याम वहीं उससे सटी हुई झोपड़ी में रहता
हर शाम दोनों मिलते
खेलते - कूदते
अंधेरा गहराते ही अपने अपने घर

राम के समक्ष
तमाम तरह के सुस्वादु व्यंजन
तब भी उसकी ना नुकुर
श्याम सोचता
आज पेट भर खाना मिलेगा या नहीं
माँ ने रोटी बनाई है या नहीं
उसके हिस्से में कितनी ??

बच्चे दोनों ही है
भूख भी दोनों को ही है
एक के सामने भोजन का चुनाव का विकल्प
दूसरे के सामने बस किसी तरह पेट भरें
एक अभी भी जिद्दी और नासमझ
दूसरा समय से पहले समझदार

एक का बचपना समय से पहले ही परिपक्व
दूसरा अभी भी नादान
यह परिस्थितियों का खेल है
किसी को असमय बडा बना देती है
उसका स्वभाव परिस्थिति के अधीन
यह सब नसीब - नसीब की बात

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