एक कहानी सुनी थी दादी से बचपन में
एक पिता था जो अपनी बेटी की शादी को लेकर बहुत चिंतित था ।कोई योग्य वर ही नहीं मिल रहा था विवाह के लिए
एक दिन बाप - बेटी दोनों घर से निकल पडे । चलते-चलते रात हो गई थी
कहीं आसरा लेना था
एक बडा सा मकान दिखाई पडा ।आवाज लगाने पर अंदर से कोई नहीं आया
तब ये दोनों अंदर चले गए
देखा तो एक आदमी पडा कराह रहा था ।उसके पूरे बदन पर सुइयां चुभी हुई थी
पता चला उसको शाप मिला था । उसने कहा वह इस देश का राजा है
जो भी सुई निकालेंगा उससे वह ब्याह करेंगा
अब पिता ने अपनी पुत्री को कहा
यही तेरा भाग्य है मैं तुझे छोड़ जाता हूँ। तू इनकी सेवा करना
अब वह युवती रोज स्नान कर दो सुइयां निकालती थी
दिन बीतते गए
अब ऑख पर बस रह गई थी
वह स्नान करने गई ।बहुत खुश थी ।
आज उसका भाग्य खुलने वाला था
परिश्रम का फल मिलने वाला था
अचानक क्या हुआ कि सब बदल गया
एक दासी थी बहुत चालाक थी
उसके जाने के बाद उसने वह सुइयां निकाल दी
राजा की ऑख खुली
उन्होंने समझा इसी के कारण हुआ है
दासी से ब्याह कर अपनी रानी बना ली
ऐसा जीवन में भी होता है
कभी-कभी हम ताउम्र किसीके लिए करते हैं
और श्रेय कोई और ले जाता है
सेवा करने वाले सालों साल हम
अंतिम समय में मीठा मीठा बोलकर अपनी तरफ कर लेना
ऐसा अमूमन होता है
कोई बच्चा सालों से सेवा करता है स्वाभाविक है साथ रहने में खटपट होती ही है
अचानक कुछ दिनों के लिए कोई दूसरा आ सारा श्रेय ले जाता है
जमीन जायदाद से बेदखल कर दिया जाता है
बदनामी हो जाती है समाज में
जो दूर रहता है घंटे दो घंटे के लिए आएगा कभी
मीठा मीठा बोलेंगा
सारा स्नेह और आशीर्वाद ले जाएंगा
हमेशा रहने वाला बुरा ही बनता है
पाप का भागीदार बनता है
उस पर सताने का
बराबर देखभाल न करने का तोहमत
सही है जो आग में हाथ डालेगा उसी का जलेगा
दूर से तमाशा देखने वाले का नहीं
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Saturday, 9 January 2021
आग में हाथ डाला तो जलना ही है
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