Monday, 15 February 2021

गाय हमारी माता है

सामने चारा रखा है
आज कुछ अनिच्छा सी हो रही है
खाने का मन नहीं कर रहा है
भविष्य की चिंता सता रही है
आज तो मेरी देखभाल हो रही है
कल जब मैं बूढी हो जाऊंगी
दूध देने लायक नहीं रह जाऊंगी
मेरी उपयोगिता खत्म हो जाएंगी
तब क्या होगा ??
मुझे हकाल दिया जाएंगा
भोर अंधेरे कहीं किसी सडक किनारे छोड़ दिया जाएंगा
मैं भटकूगी यहाँ- वहाँ
भूख के मारे
हर कोई दुत्कारेगा
भगाएगा
ऐसा क्यों हो रहा है
क्या आप अपने घर के बूढो को छोड़ दे रहे हैं
घर से निकाल रहे हैं
नहीं ना
तब तो मैं भी तुम्हारी माता समान हूँ
मेरे ही दूध से तुम और तुम्हारा परिवार पला - बढा
दूध - घी की कमी नहीं हुई
बाल - गोपाल आनंदित होते रहे
मिश्री - माखन , दही - माठा खाते पीते रहे
मेरी पूजा भी हुई
मेरी सेवा भी हुई
खाने की पहली रोटी मेरे लिए
मैं भी गौरवान्वित होती रही
किसी और पशु को इतना मान - सम्मान कहाँ ?
परिस्थितियां बदल गई है
जैसे - जैसे मेरी उपयोगिता खत्म हो रही है
मैं भी उपेक्षित हो रही हूँ
आज मेरे पुत्र बैल की आवश्यकता नहीं है
ट्रेक्टर आ गया है
गोबर की ईंधन के लिए जरूरत नहीं है
गैस आ गए हैं
गाँव - गाँव विकास की पायदान चढ रहा है
वैसे  - वैसे हम उपेक्षित हो रहे हैं
मैं तो सदियों से मनुष्य की साथी रही हूँ
पुराणों में मेरी महिमा सर्वविदित है
मैं विश्वामित्र की नंदिनी गाय भी हूँ
बाल कन्हैया की सखी भी हूँ
पिंडदान के समय गौ - दान
हिंदू धर्म की आधारशिला हूँ
ऐसा न हो कि
मैं नाममात्र की रह जाऊं
बस किताबों में बच्चे पढे
गाय हमारी माता है

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