Tuesday, 4 May 2021

अब तो यही अभिलाषा है

ये कान के बूंदे
यह गले में  मंगल सूत्र
यह हाथ में  चूडियां
यह पैरों  में  बिछियां और पायल
हमेशा हिलते रहते हैं
खन - खन करते हैं
अच्छा  लगता है
पर यह सब नहीं 
बस तुम
तुम्हारी  खनखनाती हंसी
तुम्हारा यहाँ  - वहाँ  डोलना
तुम्हारी  बोलती ऑखें
बहुत  कुछ  कह जाती है
अपने प्यार  का एहसास  दिला जाती है
मन करता है
तुम को देखता ही रहूँ
जी ही नहीं  भरता
तुम यह सब न पहनोगी
तब भी कोई  फर्क  नहीं पड़ता
बस बालों  को  कस कर बांध  लो
चेहरे पर की लट हटा लो
मेरे चांद को एकटक देखने दो
यह चांद मुझे  प्यारा है
हर रूप में  यह भाया है
यह आगे - आगे चले
मैं  पीछे  - पीछे चलूं
अब तो यही अभिलाषा  है

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