ये कान के बूंदे
यह गले में मंगल सूत्र
यह हाथ में चूडियां
यह पैरों में बिछियां और पायल
हमेशा हिलते रहते हैं
खन - खन करते हैं
अच्छा लगता है
पर यह सब नहीं
बस तुम
तुम्हारी खनखनाती हंसी
तुम्हारा यहाँ - वहाँ डोलना
तुम्हारी बोलती ऑखें
बहुत कुछ कह जाती है
अपने प्यार का एहसास दिला जाती है
मन करता है
तुम को देखता ही रहूँ
जी ही नहीं भरता
तुम यह सब न पहनोगी
तब भी कोई फर्क नहीं पड़ता
बस बालों को कस कर बांध लो
चेहरे पर की लट हटा लो
मेरे चांद को एकटक देखने दो
यह चांद मुझे प्यारा है
हर रूप में यह भाया है
यह आगे - आगे चले
मैं पीछे - पीछे चलूं
अब तो यही अभिलाषा है
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Tuesday, 4 May 2021
अब तो यही अभिलाषा है
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