Friday, 7 May 2021

दही बडा और जीवन

दही बडा खाने का मन हुआ
तैयारी शुरू
दाल भिगोना फिर पीसना
नमक - मिर्च  मिला  तेल में  गोले बना बना कर तलना
एकदम  क्रिस्पी
अब फिर उसको गर्म  पानी में  भिगो कर निकालना
लेकिन  प्रक्रिया  अभी पूरी नहीं  हुई
उसके लिए दही  फेट कर तैयार  करना
उसमें  भूलना जीरा , काला नमक , इमली  की खट्टी  मीठी  चटनी  डालना
तब जाकर  वह बना स्वादिष्ट

कितनी सारी प्रक्रिया  से गुजरते  के बाद तब वह बना दही बडा
न जाने  क्या-क्या  सामग्री  मिलाई
गर्म तेल मे  भी  डला तभी निखरा
दही के साथ मिक्स हुआ
एक बात जेहन में  उभरी
अकेले में  वह बात नहीं  । सबके साथ मिल जुलकर  , समाहित होकर
तब कोई  बात बनती है
त्याग  करना पडता है
परिस्थितियों  की भट्टी  में  तपना  पडता है
अंगारों पर चलना पडता है
अंजानों को  भी अपना बनाना पडता  है
एक जीवन को बनाने के लिए  न जाने कितनों  का योगदान होता है
तब जाकर  कहीं  शख्सियत  निखरती  है

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