आज प्रकृति ने भी ली अंगडाई है
फिर बरखा की फुहार आई है
रिमझिम रिमझिम बरसे बदरा
प्रकृति का भी डोले जियरा
मौसम हुआ सुहावना
हरियाली से हुए गदगद
पेड - पौधे और तपती धरती
वे भी है डोल रहे
हर हर शोर मचा रहें
मेंढक उछल कूद कर रहें
चिडियाँ रानी घोसले में दुबकी
मिट्टी भी सौंधी सौंधी महक रही
सब मानो कह रहे
बरखा रानी जरा जम के बरसों
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Thursday, 20 May 2021
बरखा रानी जरा जम के बरसों
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment