मजदूर चले जा रहे हैं
अपने पैरों से
अपने दम पर
नए-नए रास्ते तलाश कर
कभी पटरियों पर
कभी यमुना को पार कर
सर पर बोझ भी है
बगल में बच्चा भी है
यह किसी तरह घिसटते हुए जा रहे हैं
यह महान भारत को
विकासशील भारत को लेकर साथ चल रहे हैं
भविष्य के भारत की झांकी दिखा रहे हैं
सशक्त भारत को बयां कर रहे हैं
यह तब भी अपने दम पर
आज भी अपने दम पर
जो सबका बोझ उठा सकता है
वह अपना क्यों नहीं
देश के हुक्मरान अभी भी सचेत जाय
जब मजदूर क्रांति पर उतर आएंगे
तब क्या ??
वह अपने को कमजोर समझ रहे हैं
लाचार समझ रहे हैं
उनको शायद अपनी शक्ति का अभी तक एहसास नहीं
जिस दिन ये उठ खडे होंगे
सारा उलट पुलट हो जाएगा
कभी भगाया जाता है
कभी खुद जाते हैं
यह शायद नहीं जानते
इनके दम पर देश चलता है
अर्थव्यवस्था की रीढ़ है ये
इनको दुर्लक्ष करना बहुत मंहगा पड़ेगा
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Sunday, 16 May 2021
हमारे मजदूर
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