छोटे थे मासूम थे
कभी मार पडती थी
कभी डांट खाते थे
कभी गिर पडते थे
रोते थे
चुप भी हो जाते थे
कभी खिलखिला कर हंसते थे
बचपन था तो बचपने भी था
एक ही क्षण में सब भूल जाते थे
बडे हो गए
तब बचपन नहीं रहा
यहाँ वह हंसी नहीं रही
वह मासूमियत नहीं रही
दुनिया दारी में सब खो गई
अब कुछ भूलता नहीं
भुलाने की लाख कोशिश हो तब भी
बचपन की बात ही कुछ और है
काश सब भूल जाते
कुछ दिल पर न लेते
रोते - रोते हंस देते
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