Wednesday, 14 July 2021

चांद सी जिंदगी

कभी बढता कभी घटता
कभी आधा कभी पूरा
कभी गोल कभी तिहाई कभी चौथाई
इंच इंच घटता कभी बढता
कभी दाग तो कभी साफ
कभी चमकीला तो कभी धुंधला
कभी बादलों  के नीचे तो कभी ऊपर
यह लुकाछिपी का खेल चलता रहता
यह अक्सर होता है
यह चांद जो है हमारा
सबसे प्यारा सबसे न्यारा
अजीज है दिल के करीब है
जैसा भी दिखता हर रूप भाता

यह जिंदगी हमारी जो है
वह भी तो हमें प्यारी है
उतार - चढ़ाव
सुख - दुख
आशा- निराशा
गिरना - उठना
टूटना  - सहेजना
न जाने कितनी भावनाओं के भंवर में
डूबती  - उतराती
गोते खाती
गुजरती  जाती
गतिशील है  उसी चाँद की भाँति ।

चांद की पूजा होती है अवसर पर
जिंदगी को भी सम्मान मिलता है
प्यार और अधिकार मिलता है
जीने के बहाने तो बहुत है
बस जीना आना चाहिए
जो भी है उसे स्वीकार करना आना चाहिए।

No comments:

Post a Comment