तुम तो चले गए
मुझे इस धरा पर छोड़ गए
तुमने तो साथ जीने -मरने की कसमें खाई थी
जीवन भर साथ निभाने का वादा किया था
हर सुख- दुःख में साथ रहने की बात होती थी
वह सब कैसे भूल गए
मुझे धरा पर अपने आसमान में खो गए
पंचतत्व में विलीन हो गए
वहाँ खुश कैसे होंगे??
मैं यहाँ दिन - रात सिसकती
तुम्हारे बिना मैं कैसे रहती
अब तो सब जग सूना
तुम बिन कौन है मेरा
दिन - रात याद करती हूँ
ऑखों से ऑसू पोंछती हूँ
सबसे छुपा कर रखती हूँ
कहीं कोई देख न ले
कोई सवाल न पूछ ले
तुम्हारा जिक्र न छेड दे
मैं दया का पात्र बन नहीं रहना चाहती
तुम्हारे गुरूर के साथ ही जीना चाहती हूँ
तुम नहीं तुम्हारा नाम तो जुड़ा है
वह ठसक अब तो नहीं रही
वह अभिमान अब तो नहीं रहा
पर लाचार फिर भी नहीं हूँ
तुम्हारी जीवनसंगिनी हूँ
स्वाभिमानी हूँ
अब बाट जोहती हूँ
कब पास बुलाओगे
यहाँ धरा पर हाथ में हाथ धर घूमते थे
अब आसमां में घूमेंगे
इतनी आसानी से तुम छूटने वाले नहीं
सात जन्मों का बंधन है हमारा
वह पूरा करना है फर्ज तुम्हारा
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Wednesday, 7 July 2021
तुम तो चले गए
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