बेटी हो या बेटा
बस कहने को अपना
सबके अलग अलग अफसाने
जब तक है आप पर निर्भर
तब तक है आप पर
अन्यथा हो जाता उनका नया जहान
दामाद की बेटी
बहू का बेटा
सदियों की है यही कहानी
ज्यादा अपेक्षा
ज्यादा लगाव
कर देता है परेशान
उनकी अपनी जिंदगी
उनके अपने सपने
सब जीने में लगे हुए
रंग भरने में लगे हुए
मत बाधा बनो उनकी उडान में
मत कर्तव्यों की दुहाई दो उनको
आपको जो करना था
आपने किया
उनको जो करना है वे करें
काबिल बना दिया
आत्मनिर्भर बना दिया
अपना कर्तव्य किया
पर इसका मतलब यह नहीं
उन पर एहसान किया
उनको गुलाम बना दिया
मत बांधों बेडी पैर में
आप हमेशा पालक ही रहेंगे
आपने तो जिंदगी दी है
इतने बडे दानदाता स्वयं हैं
जिसको दी उसी से मांगना
यह शोभा नहीं देता
शान से रहे
एहसास करें
बस दूर से ही उनको खुश देखकर आप भी खुश रहे
बातें बाद बाद की
वह किस्मत पर छोड़ दें
उसके बिना तो कुछ नहीं
न औलाद न सुकून ।
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