Friday, 22 October 2021

त्योहार जीने का मकसद दे जाते हैं

आ गए त्योहारों का मौसम
खुशियों की बयार के साथ
पकवानों से घर महकेगा
दियों से रोशनी जगमगाएँगी
मेहमानों से घर भरेंगा
अपनों की हंसी - खिलखिलाहट गूंजेगी
गले से गले और दिल से दिल मिलेंगे
तोरण - बंदनवार सजेगा
रंगोली और फूलों की भी बहार
आतिशबाजी होगी
फटाके और फुलझड़िया छूटेंगी
भगवान का दरबार भी सजेगा
बाजार भरे - पटे होंगे
सबको कुछ न कुछ दे ही जाएंगे
क्या अमीर क्या गरीब
त्यौहार तो सबका है अजीज
नए-नए कपडे पहन
सब इतराएगे
क्या बच्चे क्या जवान क्या बूढे
सबके चेहरे पर रंगत होगी
मन भर मुस्कान होगी
घर का हर कोना चमकेगा
हर व्यक्ति चहकेगा
सब कुछ भूलेंगे
नहीं कोई शिकवा नहीं कोई शिकायत
अडोस - पडोस सब गुलजार
खुद का मुंह मीठा करेंगे
साथ साथ औरों का भी
मीठी बोली , मीठे पकवान
तभी तो जिंदगी बन जाती है लज्जतदार
त्योहार आते हैं
साथ साथ बहुत कुछ दे जाते हैं
जीने का  मकसद दे जाते हैं।

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