वेदना तो दोनों में होती है
प्रसव पीड़ा सहना ही पडता है
नौ महीने गर्भ में रखना ही पडता है
देखभाल और पालन - पोषण करना ही पडता है
लिखाना - पढाना और काबिल बनाना ही पडता है
तब फिर भेदभाव क्यों
यह बेटा यह बेटी क्यों
कानूनन हकदार भी
जब सब समान है
तब कर्तव्य और अधिकार भी समान
एक कमजोर है यह सोचना बेमानी है
एक स्वार्थी है यह भी सही नहीं
कर्तव्य के तराजू पर एक समान तोले
समाज अब अपना नजरिया बदले
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Tuesday, 5 October 2021
समाज अब अपना नजरिया बदले
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