Saturday, 23 October 2021

वह पुष्प

क्या शुभ्रता
क्या रंगत
मन मोहक
सबको आकर्षित करता
आज खिला है
मुस्कान भर  रहा है
बिना यह सोचे
जिस डाली पर है
वहीं उसे एक दिन गिरा देगा
एक नई कली नए पुष्प का जन्म होगा
वह उसको गोद में ले दुलराएगा
हवा भी प्यार लुटाएगी
जिस तरह यह आज झूम रहा है
वह कल उपेक्षित हो जाएगा
नियति उसकी यही है
फिर भी मुस्कान से भरा है
आज तो अपना है कल को किसने देखा है
प्रेमी के गजरे की शोभा
भगवान के चरणों में अर्पित
या मिट्टी में
जो हो सो हो
आज तो जी लूँ।

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