Tuesday, 26 October 2021

प्रेम में भी आतंक वाद

हमारी गलती नहीं थी
फिर भी हमने माफी मांगी
तुम्हारा दिल इतना बडा न था
गलती तो तुम्हारी
माफी भी न पाएं हम
स्वयं को हमेशा सही
तुम गलत हो ही नहीं सकते
हर बार गलती तुम करों
माफी हम मांगें
यह तो उचित नहीं
माफ करना तुम्हारी फितरत में नहीं
हम तो सही है यह सोच
सही तो हम हैं
हमें रिश्ता निभाना है
तभी तो झुक जाते हैं
तुम तन जाते हो
सोचते हो कि तुम्हारी जीत हुई
कोई तुम्हारे सामने गिडगिडा रहा है
झुक रहा है
अपने आत्म सम्मान को ठेस पहुंचा रहा है
तब वैसा सम्मान नहीं रहेगा तुम्हारे प्रति
न ही वह भावना रहेंगी
यहीं  तो तुम हार रहे हो
झुकाना है तो प्रेम से झुकाओ
जबरदस्ती और जिद से नहीं
यह भी एक आतंक वाद ही है
तुम भी किसी आतंक वादी से कम नहीं।

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