Monday, 25 October 2021

सिने जगत की विडंबना

बाप ने मेहनत कर एक बडा साम्राज्य खडा किया
जो मुझे नहीं मिला वह मेरी संतान को मिले
हर सुख - सुविधा देने की कोशिश
ऐशो-आराम की जिंदगी
अच्छी से अच्छी शिक्षा
महंगे विद्यालय,  नामी यूनिवर्सिटी
विदेशों में  पढाई
सब कुछ उपलब्ध कराने के बाद कहाँ कमी रह गई
परवरिश में  या और कुछ
पैसा वाला होना कोई अपराध नहीं
सुख - सुविधा देना
यह तो हर माता  - पिता का कर्तव्य
तब संतान गलत संगत में पड जाए
ड्रग्स और नशे की आदी हो
सब कुछ योग्यता होने के बावजूद ऐसा कदम
सफलता भी हासिल हो
इसके बाद भी ऐसा कदम उठाना
कहीं नशे का आदी
कहीं सुसाइट
कहीं जेल में
जो भी हमारे नए-नए सिने अभिनेता  - अभिनेत्री है
शोहरत - पैसा उनके ऊपर हावी
जिंदगी छूटने लगती है
माता - पिता असहाय और लाचार
क्या करें
संतान तो संतान ही है
वह घर में हो या जेल में
अपना हर संभव प्रयास करेंगे
यह तो सामान्य बात है
अगर परिवार साथ न दे तो फिर कौन देगा
जब तक बच्चे बालिग न हो तब तक ध्यान
स्वयं अपने पैरों पर खडे हो तब क्या करें
एक बात तो है
पैसे से खुशी नहीं खरीदी जा सकती
पैसा बहुत कुछ है पर सब कुछ नहीं
    पूत सपूत तो धन संचय क्यों
           पूत कपूत तो धन संचय क्यों

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