जल का कोई रंग नहीं
जहाँ जाता है
उसी में घुल - मिल जाता है
उसी रंग का हो जाता है
कहीं वह स्वच्छ और शुभ्र
कहीं मटमैला और काला
कहीं नीला कहीं आसमानी
जिस रंग में मिलाओ
पीले में पीला
हरे में हरा
मिट्टी में मटमैला
दूध में दुधिया
यहाँ तक कि वह दिखाई ही नहीं देता
अपने असतित्व की चिंता नहीं करता
जो जैसा है उसके साथ मिलकर वैसा हो जाता है
औषधि में भी
जहर में भी
जीवन दान देता है
तो लेता भी है
बाढ और अकाल इसी का रूप है
प्रलयंकारी है तो निर्माता भी
सृष्टि के संचालन में इसकी अहम् भूमिका
जल ही से तो जीवन है
सारे संसार के जीव इसी पर निर्भर
वह मानव हो
पशु-पक्षी हो
पेड - पौधे हो
यह न हो तो संसार ही सूख जाएंगा
जीवन खत्म हो जाएगा
किसी का नामो-निशान न रहेंगा
तब इसे कौन सा रंग देना
यह सबकी जिम्मेदारी
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Saturday, 23 October 2021
जल का रंग
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