Wednesday, 24 November 2021

अदभ्य जीजिविषा

मैंने उन बीजों को देखा है
जो अनुपयोगी समझ कर फेंक दिए गए
कचरे के ढेरी में पडे रहें
घूरे के टीले पर
बरसात हुई
खाद - पानी मिला
फिर पल्लवित और पुष्पित हुए

ऐसे ही जीवन में भी होता है
कुछ लोगों ने उपहास उडाया होगा
कुछ लोगों को तुम संबंध कायम रखने लायक नहीं लगे होंगे
उनकी हैसियत के बराबर तुम नहीं होंगे
तुम्हे तुच्छ समझा गया होगा
अपने को काबिल दिखाया होगा
बात बात पर अपमानित किया होगा
यह अक्सर होता है

समय बदलते देर नहीं लगती
जो तुम्हारी उपेक्षा कर रहे थे
उन्हीं को तुम्हारी जरूरत पड रही है
वे तुम्हारे काम भले न आए तुम  उनके काम आ रहे हो
जो धिक्कार रहे थे तिरस्कार कर रहे थे
वे आज अपनापा जता रहे हैं
जो लोग तुम्हें घर से बेघर कर रहे थे वो आज तुम्हारे ही घर में आसरा ढूंढ रहे हैं

कचरे के ढेर में
घूरे में भी अवसर ढूंढ लेना
अपने को जीवंत कर लेना
इतनी अदभ्य जीजिविषा
फिर तो कोई तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता

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