कर्म का फल तो भोगना ही पडता है स्वयं को ही
श्री राम की पत्नी होते हुए भी संन्यासी भेषधारी रावण द्वारा अपहरण करते समय सीता अकेली थी
पांच बलशाली पतियों के होते हुए भी दुःशासन द्वारा चीरहरण के समय द्रोपदी अकेली ही थी
चार पुत्रों के होते हुए भी राजा दशरथ के अंतिम समय में कोई उनके पास नहीं था
सवा लाख नाती वाले रावण के मृत्यु के बाद कोई पानी देनेवाला और क्रियाकर्म करने वाला कोई नहीं रहा
सुदर्शन चक्र धारी और महाभारत में मुख्य भूमिका निभाने वाले भगवान कृष्ण मृत्यु के समय पेड पर अकेले ही थे
गांडीव धारी अर्जुन का पुत्र और भगवान कृष्ण का भांजा
अभिमन्यु चक्रव्यूह में अकेले ही लड रहा था
आते हैं हम अकेले ही
गर्भ से बाहर निकलने के लिए जो संघर्ष शुरू होता है वह मृत्यु के साथ ही खत्म होता है
कौन हमारे पास रहेगा
कौन हमारे साथ रहेगा
अंत समय कैसा होगा
यह तो अनिश्चित ही है
कहने को सब पर साथ कोई नहीं
यही जीवन का अटल सत्य
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