Thursday, 18 November 2021

मैं नहीं तो तुम कुछ भी नहीं

मैं तुम पर निर्भर
तुम मेरा जहान
तुम नहीं तो कुछ नहीं
सुहाग हो तुम
मेरा गुरूर मेरा गुमान
यह सब तो सही है
इससे ज्यादा कुछ और भी है
जो जीवन का सच है
जिस दिन मैं नहीं
तुम तो कुछ भी नहीं
हर काम में असमर्थ
यहाँ तक कि अपनी देखभाल में भी
तुम तो कभी किसी बाल - बच्चे के करीब रहे नहीं
कठोरता हावी रही
कर्तव्य हावी रहा पौरूष हावी रहा
किसी के साथ बांडिग मजबूत नहीं रही
मुझे छोड़ और किसी को यह पता नहीं
तुम कितने कमजोर हो
तुम्हारा दिल कितना कोमल है
सबके लिए कितनी फिक्र है
परिवार के लिए कितना समर्पण है
एक सब्जी भी लाने के लिए सिखाना पडता है
ऑफिस में भले बाँस हो
घर में तो मैं ही हूँ
क्या पसंद क्या नापसंद
कौन सा सामान जरूरी कौन सा नहीं
घर की हर छोटी-बड़ी जरूरत से तुम्हे कुछ लेना - देना नहीं
यहाँ तक कि अपनी जरूरतों से भी अंजान
कैसे रहोगे अकेले
किससे कहोगे
कौन बिना बोले तुम्हें समझेगा
तुम नहीं तो मैं नहीं
मैं नहीं तो तुम कुछ भी नहीं

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