अहंकार का कीडा बडा भयानक होता है
यह उस दीमक के समान है
जो एक बार लग जाएं
तो खत्म करके ही मानता है
व्यक्ति के पूरे व्यक्तित्व को ही चाट जाता है
उसे समूल नष्ट और खोखला कर देता है
अंहकार ने बडे बडो को धराशायी कर दिया
फिर वह महाबलशाली चारों वेदों का ज्ञाता
प्रकांड पंडित और महान शिव भक्त रावण ही क्यों न हो
धृतराष्ट्र पुत्र दुर्योधन ही क्यों न हो
जगत विजेता बनने की इच्छा रखने वाला सिकंदर ही क्यों न हो
पेड़ जब फल से लद जाते हैं
तब वे झुक जाते हैं
जब व्यक्ति के पास ज्ञान और संपत्ति आ जाती है
लेकिन साथ में अंहकार भी आ जाता है
तब उसका खात्मा निश्चित है
नदी में जब बाढ आती है
तब वह विशाल वृक्षों को तो बहा ले जाती है
कोमल लताएँ वैसे ही रहती है
पेड़ ने झुकना नहीं सीखा
लताएँ झुकना जानती थी
तब अगर आपने जिंदगी में बहुत कुछ अर्जित किया हो
तो संतुलन बनाएं रखें
अंहकार को मत आने दे जीवन में
जहाँ अहंकार वहाँ सर्वनाश
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