Thursday, 2 December 2021

मैं कोई साधारण नहीं

मैं कोई साधारण नहीं
जानते हो
मैं कौन
मैं नारी हूँ
हवा के थपेडों को सह लेती हूँ
जमाने से लड जाती हूँ
अपना असतित्व कायम रखना मैं जानती हूँ

मैं तो वह चट्टान हूँ
जिस पर
तूफान  , बरसात , बिजली , कडकती धूप
किसी का असर नहीं  होता
खडी रहती हूँ मजबूती से
हर कुछ सह लेती हूँ

कभी-कभी दरक जाती हूँ
टूट जाती हूँ
पर पल में खडी भी हो जाती हूँ
धीरज है मुझमें
सहनशीलता है मुझमें
जननी हूं मैं
बहन , बेटी ,पत्नी और माँ हूँ
घर की धुरी हूँ

अपने को मिटाती हूँ
तब एक सुखी गृहस्थी की नींव पडती हूँ
गृहणी हूँ
घर चलाना यह सबके बस की बात नहीं
एक घर नहीं
दो - दो घर
ससुराल और मायका
दोनों की जिम्मेदारी उठाती हूँ
उनके सम्मान और इज्जत का दारोमदार मुझ पर
उसे बखूबी निभाती हूँ
नारी हूँ मैं

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