Sunday, 26 December 2021

प्रेम करना ही पर्याप्त नहीं

प्रेम करना ही पर्याप्त नहीं है
उस लायक भी बनना होता है
जिम्मेदारी होती है उस व्यक्ति के प्रति
जो सब छोड़ कर आपसे प्रेम करती है
बिना किसी की परवाह किए
माता - पिता और समाज की भी
तब उसके सम्मान को कायम रखना
यह भी तो जरूरी है

राम ऐसे ही नहीं बना जाता
सीता के लिए धनुष तोडने की भी योग्यता होनी चाहिये
रावण से युद्ध ठानने की भी क्षमता होनी चाहिए
रुक्मिणी के लिए कृष्ण बनना पडेगा
एक खत से आकर केवल भगा कर ही नहीं ले गए
पटरानी बना कर रखा
रूक्मी उनके भाई से युद्ध ठान लिया

आज के जमाने की बात करें
तो अब वह जमाना नहीं रहा
अब कोई बंधन आडे नहीं  आता
फिर भी योग्य तो होना पडेगा
बातें करने से
हवा में उडने से
बडे बडे सपने देखने से गुजारा नहीं होता
यथार्थ के धरातल पर उतरना पडेगा
स्वयं को कर्मठ और लायक बनाना पडेगा

मैं तुम्हारे लिए  कुछ भी कर सकता हूँ
कहने से काम नहीं चलता
उसके लिए जी - जान से तैयार रहना चाहिए
मर भी सकता हूँ
इससे अच्छा जीने का जुगाड़ करें
उसके लिए  कुछ  भी करना पडे
छोड़ना पडे  तब छोड़ कर दिखाओ
घर - परिवार,  समाज सब
ऐसा लोगों ने किया भी है
प्रेम करने वाला डरता नहीं है
डंके की चोट पर करता है
इतना विश्वास तो होना ही चाहिए

डरपोक और कमजोर प्रेम कर ही नहीं सकता
वह विश्वास घात कर सकता है
प्रेम में स्वार्थ नहीं त्याग होता है
जो यह कर सका उसी को प्रेम करने का अधिकार है
कायर , लालची ,स्वार्थी और नपुंसक को नहीं

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