मैं तैरे गर्भ में थी
कितनी निश्चिंत थी
अंदर मुझे खुराक तुझसे ही मिलती रही
मेरा पालन पोषण हुआ
तू कितना ध्यान रखती थी
फल - मेवे खाती थी
ताकि मैं तंदुरुस्त जन्मू
जन्म हुआ
मुझे दर्द न हो इसलिए तूने पेट पर चीरा भी लगवा लिया
मेरी देखभाल और जतन करती रही
अपने खून का दूध कर पिलाती रही
दिन और रात एक करती रही
बस मेरी ही फिकर तुझे हमेशा रही
मुझे सूखे में और अपने गीले में सोती रही
जब थोड़ा और बडी हुई
ऊंगली पकड कर चलने लगी
ए बी सी डी पढने लगी
मेरे साथ माॅ तू भी पढने लगी
मुझे याद हो या न हो
मेरा पाठ्यक्रम तुझे याद रहता
अब मैं बहुत बडी हो गई
पढ लिख गई
अपने पैरों पर खडी हो गई
तब भी वह निश्चिन्तता नहीं है
जो तेरे ऊपर निर्भर रहने में थी
मन करता है
फिर गोद में ले ले
अपने गर्भ में रख लें
डर लगता है
भविष्य से
डर लगता है लोगों से
अब तो लगता है
मैं फिर छोटी सी बन जाऊं
सब तुझ पर छोड़ कर निश्चिंत हो जाऊ
फिर तुझ में समा जाऊं।
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