Friday, 3 December 2021

कैसा नाच - गाना

कभी नाच गाना
इनको ज्यादा तवज्जों नहीं दी जाती थी
तवज्जों क्या फूहड़ समझा जाता था
आज तो यह समय आ गया है
सबको नाच गाना आना ही चाहिए
समय का तकाजा जो है

शादियों में भी
संगीत समारोह में भी
दूल्हा- दुलहन के साथ साथ माता - पिता को भी नाचना है
ठुमका लगाना है
जिसने कभी कमर न हिलाई हो
वह गाने पर झूमें  - नाचे
यह कहाँ कि जबरदस्ती है
जबरदस्ती है न
क्योंकि तभी तो वाह वाही होगी

हुडदंग करो
बंदर की तरह कूदो
आदिवासी कबीलों की तरह नाचो
शराब - कबाब में डूबे रहो
अश्लील गाने
अश्लील हरकत
सभ्यता गई ताक पर

यह हम क्या कर रहे हैं
आधुनिकता का लबादा ओढे
जंगली होते जा रहे हैं
शादी - ब्याह जैसे पवित्र बंधन को भी
सडक पर ला खड़ा कर दिया है

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