Friday, 7 January 2022

हम तो मस्त हैं

वह खून , खून नहीं पानी है
जिसमें देशभक्ति का उबाल न हो
कुछ कर गुजरने की चाह न हो
मर - मिटने का जज्बा न हो
त्याग और समर्पण न हो
इंसानियत और मानवता न हो

बस अपने लिए जीना
अपना स्वार्थ देखना
धरती माता का सम्मान या अपमान
उससे हमें क्या लेना देना
कोई कुछ भी कह दे
चुपचाप सुन ले गद्दारों को
हम नजारा देखते रहे दूर से
घर में बैठ आराम फरमाता रहें
खाना - पीना और सोना
इससे ज्यादा हमें कुछ नहीं करना
हमारी जेब भरती रहें
भ्रष्टाचार होता रहें
देश लुटता  रहें
मुफ्त में सब मिलता रहें
कर्ज माफ होता रहें
बस यही बहुत है
जीना है मरने की क्यों सोचें
सब जाएं भाड़ में
हमें क्या पडी
हम तो मस्त हैं ।

No comments:

Post a Comment