चमचमाता उजाला
प्रकाश से भरपूर
अंतरतम में घुप्प अंधेरा
घने काले बादल
कुहासा से घिरा हुआ
कहीं दूर तक कुछ नहीं नजर आता
कब ये बादल छंटेगे
कब प्रकाशित होगा अंतर्मन
यह तो कोई नहीं जानता
इस आशा के साथ जीता अवश्य है
आज नहीं तो कल
यह बादल भी छंटेगे
अंधेरा भी दूर होगा
यही सोचते समय बीतता है
जीवन की घडियां चलती है
वर्ष दर वर्ष गुजरते हैं
क्योंकि पता है
अंधेरे की ताकत
उजाले की प्रकाश की
अंदाजा तो है
क्योंकि अंधेरे को चीरना
कुहासा को हटाना
यह तो प्रकाश करेंग ही ।
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