Wednesday, 4 May 2022

छोड़ो कल की बातें

कुछ गुस्ताखियाँ तुमसे हुई
कुछ गुस्ताखियाँ हमसे हुई 
कुछ गलत हम कुछ सही तुम
यह तो सिलसिला है
चलता ही रहेगा 
अब सब गिरे- शिकवे छोड़ो
जिंदगी कुछ समय की तो बची है
उसे तो प्रेम से जी लो
सारी कटुता भूला दो
इस सिलसिले में हमने 
बहुत कुछ खोया
बहुत कुछ पाया
अब न कुछ खोने को है
न कुछ पाने को है
बस जिंदगी का गुजारा करने को है
तब तो
छोड़ो कल की बातें 
कल की बात पुरानी 
नई डगर पर चलकर 
    हम लिखेंगे एक नई कहानी 

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