Friday, 1 July 2022

हम भी कभी जवान थे

अरे । तुम क्या जानो
तुम क्या मानो
हम भी कभी जवान थे
हमने भी फैसनेबल कपडे पहने थे
स्लीवलेस ब्लाउज और कुर्ती 
बेलबाटम और चूडीदार 
हिल वाली सैंडल 
ब्वाय कट और साधना कट बाल
नेलपालिश नखो पर
वन पीस , टू पीस ,गाउन 
इससे हम अंजान नहीं 

काॅलेज बंक कर फिल्म देखना
घंटों दोस्तों के साथ यूनिवर्सिटी ग्राउंड में समय बिताना
लाइब्रेरी  में नोट्स बनाना
रेडियो पर गाने सुनना
विविध भारती और जयमाला 
गुलशन नन्दा के उपन्यास और फिल्मी पत्रिका पढना
 सी फेस और गार्डन में घूमना 
दो मंजिला बस में धडधडाते चढना
भागते हुए ट्रेन पकडना

हमने सब कुछ देखा है
जब नई पीढ़ी कहती है
आपको यह सब क्या पता
आपका तो कोई और जमाना था
अब जमाना बदल गया है
तब होठों पर मुस्कान आ जाती है 

कम्प्यूटर और मोबाइल नहीं था
टेलीविजन और टेलीफोन तो थे ही 
वह भी जमाना तो हमने देखा है 

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