हर डाँक्टर यह पढें
अपनी ही किसी किताब में यह कहानी पढी थी
कहानी तो बडी है उसको मैं संक्षेप में ही बता रही हूँ
एक साधारण ग्रामीण खेत खलिहानों में मजदूरी कर गुजारा करने वाला
एक बार बेटे को बुखार आया । तप रहा था ।तबीयत बिगड़ती जा रही थी ।किसी ने सलाह दी
शहर के बडे डाँक्टर है उनके पास ले जाओ
वही ठीक कर सकते हैं
रात का समय था वह बेटे को कंधे पर लादकर पहुंचा
डाँक्टर साहब ने मिलने से मना कर दिया
रात हो गई है हमारा सोने का समय है
द्वारपाल को गेट बंद करने का आदेश दे अंदर चले गए
बेचारे गरीब के बेटे ने दम तोड़ दिया
समय बीता
कुछ बरसों बाद डाँक्टर साहब के बेटे को जहरीला सांप ने काट लिया
कोई औषधि काम नहीं कर रही थीं
किसी ने कहा कि फलां गांव में एक व्यक्ति है जो जहरीले से जहरीले सांप का जहर मंत्र द्वारा निकाल सकता है
डाँक्टर साहब को इन सब बातों पर विश्वास नहीं था
पर एकलौता जवान बेटे का प्रश्न था
उन्होंने आदमी भेजे पर आने को मना कर दिया
रात गहरा रही थी पर इस गरीब का मन नहीं माना
लाठी ठेगते पहुंच गए
आवाज दी
डाँक्टर साहब पैरों पर गिर पड़े
बचा लो मेरे बेटे को
जो मांगोगे वह दूंगा
अब इन्होंने अपने मंत्र विद्या के बल पर विष निकाल दिया
लडका ऑखे मलता हुआ उठ बैठा
डाँक्टर साहब ने खुश होकर कहा
क्या चाहिए
कुछ नहीं
याद कीजिए मैं वही हूँ जो अपने बेटे के इलाज के लिए आपके पास आया था
आपने वापस लौटा दिया
मेरा बेटा मर गया
पर मैं आप जैसा नहीं बन सका
मन तो हुआ
मर जाने दो
पर ईश्वर ने मुझे यह हुनर दिया है जहर उतारने का
जान बचाने का
मैंने अपना कर्तव्य किया
आप भूल गये थे
आइंदा किसी मरीज को बिना देखे मत लौटाना ।
कहते हुए लाठी टेक गेट से बाहर निकल गए ।
No comments:
Post a Comment