अब तो लोग ध्यान भी नहीं दे रही
रशिया और यूक्रेन अभी भी भिडे हैं
कोई निष्कर्ष नहीं
बस बमबारी और जान - माल की हानि
कोई पीछे हटने को तैयार नहीं
मानवता छोटी पड गई है
अहम् बडा हो गया है
आज हम सब इसके आदी हो गए हैं
कभी कहीं कुछ तो कभी कहीं
अपराध सर पर चढ कर बोल रहा है
कोई सुरक्षित नहीं है
घर से कब कोई निकले मौत कब दबोच ले
आए दिन टेलीविजन की सुर्खियाँ
अखबारों के पेज
सब इन्हीं सब से भरे
अब तो एक नया क्राइम सायबर क्राइम
अमीर - गरीब सब इसके शिकार
ऐसा लगता है जीना मुश्किल है
एक जगह से बचे तो दूसरी जगह फंसे
युद्ध भी सामान्य
हर कोई हथियार और मारक सामग्री जुटाने में लगा
सब ध्वस्त होने की कगार पर
एक खत्म नहीं हुआ
दूसरे युद्ध की आहट शुरू
हमने क्या इसलिए विकास किया है
अपने बनाए मारक सामग्री को अपने ही विनाश मे लगाना
कोई जीतेगा कोई हारेगा
मानव का नुकसान ही होगा
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