Saturday, 8 October 2022

कृष्ण --10

पुनः पवतामस्मि गमः शस्रभृतामहम् ।
झषाणां मकरश्चस्मि स्रोतसामस्मि जाह्नवी ।।

समस पवित्र करने वालों में मैं  वायु हूँ 
शस्त्र धारियों में राम
मछलियों में मगर
तथा नदियों में गंगा हूँ  ।

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