Sunday, 2 October 2022

कृष्ण 6

महर्षीणां भृगुरहं गिरामस्म्येकमक्षरम् ।
यज्ञानां जपयज्ञोस्मि स्थावराणां हिमालयः ।।

मैं महर्षियों में भृगु हूँ  
वाणी में दिव्य ओंकार हूँ 
समस्त यज्ञों में पवित्र नाम का कीर्तन 
तथा समस्त अंचलों में हिमालय हूँ। 

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