Monday, 3 October 2022

कृष्ण दीवानी मीरा

राधा रानी तो प्रेम दीवानी
कृष्ण के दिल की रानी
मीरा भी तो कृष्ण दीवानी 
महलों को छोड़ चली 
मंदिर मंदिर घूमी
अपने प्रिय को पाने
राधा ने  तो बृजभूमी में रास रचाया
मीरा ने तो मरुभूमि में फूल खिलाया 
राधा रही गोकुल में कृष्ण की आस लगाए 
मीरा जग - परिवार छोड़ भटकी यहाँ वहाँ 
कब , कहाँ न जाने उनके कृष्ण मिल जाएं 
प्रेम राधा से कृष्ण ने किया था
कृष्ण से प्रेम मीरा ने किया था
वह द्वापर युग था
साक्षात अवतरण था
मीरा तो उस युग की थी
जहाँ कृष्ण शरीर रूप में थे ही नहीं 
बिना देखे अपने प्रिय को अपने आराध्य को
इतना प्रेम 
इतना विश्वास 
इतनी भक्ति 
बडे बडे अवरोध आए
सब अवरोध पार कर गई
हर लांछन सह गई
साधु संतों के साथ घूमती रही
वीणा की धुन छेड़ती रही
कृष्ण भक्ति में रम गई
तभी तो मीरा , संत मीराबाई बन गई
आज भी जब गूंजता है
मैं तो प्रेम दीवानी 
      मेरा दर्द न जाने कोय 
तब मीराबाई समक्ष आ जाती है 
प्रेम करें तो मीरा सा
भक्ति करें सो मीरा सा ।

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