चिडिया चहकी
भोर महकी
सूरज चमका
प्रभात पसरा
फूल खिले
ताजगी छाई
हवा डोली
पत्ते सरसराए
लोग उठे
जागृत हुए
शुरू हुआ
नया सिलसिला
सब चलायमान
कोई आकाश में उडान भरते
कोई खेतों की तरफ जाते
कोई जीविका के लिए
कोई रसोईघर में पेट के लिए
सब जगह चहल-पहल
यह है भोर का कमाल
अंधेरे को चीरती यह आती
अपना पैर पसारती
संदेश देती
उठो सोने वालों
तत्पर हो लग जाओ काम में
आलस छोड़ो
आगे बढो
जिंदगी बैठना नहीं चलना है
चलते रहो चलते रहो
अन्यथा यह चल देगी
सब आगे निकल जाएँगे
तुम पीछे रह जाओगे
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