Saturday, 22 October 2022

नम्र और गर्म

गरम रहोगे तो पिघल जाओगे 
कोई कुछ भी कह सकता है
झूठ मूठ का आरोप लगा सकता है
शांत रहें और ठंडे 
तब विचार भी आएंगे 
लोहा को जब गरम करते हैं 
पीटते हैं 
तब उसे किसी भी आकार में ढाल सकते हैं 
आप को बदलना नहीं है
न उत्तेजित होना है
मजबूती से अपना काम करना है
निश्चय पर अडिग रहना है
उकसाने वाले बहुतेरे 
आपका अपना वजूद है
आप धातु नहीं है
कि किसी भी आकार में ढल जाएं
नम्र रहें पर गर्म नहीं  ।

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