लडकपन खेल में खोया
जवानी नींद भर सोया
बुढ़ापा देख कर रोया
यही किस्सा पुराना है
बचपन में विविध भारती पर यह गाना सुनते थे
तब समझ नहीं आया था इस गीत की गहराई
उम्र के इस पड़ाव पर समझ आ रहा है
समय बहुमूल्य है
इसका बहुत सावधानी से उपयोग करना है
पल पल को जीना है पूरी शिद्दत से
सोच - विचार कर हर काम करना है
लापरवाही की तो गुंजाइश ही नहीं रखनी है
खेल कर सो कर बेकार नहीं करना है
जो हासिल करना है उसके लिए मेहनत
शुरू के बीस - बाईस साल अगर मेहनत की
तब आगे के साठ साल आराम से
अगर शुरुवाती दौर को गंवा दिया
तब तो बुढापे में रोना ही है
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