गम ही मिले
इतना भी नहीं
जिंदगी से भरोसा ही उठ जाएं
ईश्वर पर ही विश्वास न हो
सारा जग बेकार लगे
अरे कुछ तो हो जीने लायक
नहीं बडा रुतबा- ओहदा
नहीं बडा मकान - बंगला
नहीं बेशुमार धन - गहना
बस कहने को कोई हो अपना
भरोसे लायक हो
साथ - साथ चल सके
हर हाल में हाथ पकड़े रहें
स्वयं से ज्यादा विश्वास हो उस पर
उस वक्त जिंदगी
अभावों में भी खुश रह लेगी
रूदन में भी मुस्कान भर लेंगी
सच्चा हो मन का अच्छा हो
सामान्य ही हो
हाँ इंसान हो
हर नशे से दूर
प्यार के नशे में चूर हो
सर पर छत हो
खाने को दाल - रोटी हो
इतना ही कर सके जो
ऐसा एक अभिन्न साथी हो
तब तो काँटों में भी फूल खिल जाएंगे
जिंदगी से सच में प्यार हो जाएंगा।
No comments:
Post a Comment