Tuesday, 25 April 2023

भीष्म और वासुदेव

आज मैं हरिहौ शस्त्र गहाऊ 
यह प्रतिज्ञा महामहिम भीष्म ने की थी
वे वासुदेव जो प्रतिज्ञा में बंधे थे
महाभारत में शस्त्र नहीं उठाऊगा 
उन्होंने उठाया 
कारण अपने भक्त का मान रखना था
वे ईश्वर थे 
सुदर्शन चक्रधारी थे 
फिर भी 
वही भीष्म थे 
जो आजीवन प्रतिज्ञा में बंधे रहें 
अन्याय करते रहें 
देखते भी रहें 
काशी नरेश की कन्याओं के साथ वह अन्याय ही था 
द्रौपदी चीर-हरण में मुक दर्शक बने रहना 
अंधे धृतराष्ट्र का साथ देना 
हस्तिनापुर के प्रति कर्तव्य निभाते निभाते वे भूल गए 
उस भीष्म प्रतिज्ञा का क्या फायदा 
जो अधर्म का साथ दे रहा था 
प्रतिज्ञा में तो केशव भी बंधे थे
भीष्म भी बंधे थे 
लेकिन एक ने तोड़ा 
एक तोड ही नहीं पाया
शरशैय्या पर लेट कर देखते रहें 
शायद यह भी सोच रहे होंगे 
कहीं यह मेरे ही कर्मों का फल तो नहीं 
महाभारत के युद्ध का कारण मैं ही तो नहीं 
प्रतिज्ञा ऐसी भी न हो
जो विनाश का कारण हो ।

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