आज तीरालीस बरस हो गए
एक दूसरे से बंधे हुए
पर लगता है
अभी की तो बात है
चालीस नहीं चार बरस ही हुए हैं
जहाँ से शुरू था
लगता है आज फिर वही खडे हैं
बदला कुछ नहीं
बस वक्त बदला है
उम्र बीती है
तब भी जद्दोजहद थी
आज भी वही बात
स्थिरता तो नजर नहीं आती
जीने के लिए संघर्ष
तब भी था
आज भी है
तब भी चिंता थी
आज भी चिंता है
तब अनुभवहीन
आज अनुभव
पर फर्क क्या पडा
ऊपर वाला मदारी नचा रहा है
हम नाच रहे हैं
हाँ यह बात जरूर है
एक साथी दिया है
जिससे शायद राह आसान हो जाती है
एक साथ इतने वर्ष
सुख दुख के इस साथी को धन्यवाद
हर उस सहयोगी को
जो मेरी जीवनयात्रा में साथ साथ चला हो
आगे भी सबका स्नेह और आशीर्वाद बना रहे
जीवनयात्रा चलती रहें
इस अवसर पर सबको धन्यवाद
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