जान हथेली पर लेकर चलते लोग
यह ट्रेन समय पर पहुचाएगी
अपनों से मिलाएगी
इसी खुशी की आस में
मन में सबसे मिलने की कल्पना
यह होगा वह होगा
कहीं कल्पना न रह जाएं
मिलने से पहले बिछड़ न जाएँ
बडी कठिन परिस्थिति
यह केवल दूर की यात्रा के लिए ही नहीं
उनके लिए भी जो रोज काम निमित्त ट्रैवल करते हैं
रोज जीते - मरते हैं
सुबह अनिश्चित होकर निकले
शाम को घर पहुँचे तब तक
उनके परिजन भी उनके इंतजार में
सुबह होती है
शाम होती है
जिंदगी यू ही तमाम होती है
No comments:
Post a Comment