कब तक मौन रहोगे
लोग तो सवाल पूछेगे
जवाब भी चाहेंगे
इतिहास भी दोषी मानेगा
आने वाली नस्लें भी
जब भी अन्याय या अत्याचार होता है
कुछ मुक दर्शक बन जाते हैं
हमें क्या लेना - देना
समाज में रहना है
परिवार में रहना है
देश में रहना है
विश्व में रहना है
व्यक्ति बन कर रहना है
तब तो मौन से काम नहीं चलने वाला
बोलना तो पडेगा
और किसी को नहीं तो
ईश्वर को
अपनी आत्मा को
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