बचपन जुड़ा हुआ है उससे
धडाधड चढते थे
पहली वाले सामने की सीट पकड़ते थे
बडा सा दरवाजा
ठेलमठेला कर अंदर घुसते थे एक साथ
ऊपर से नजारा लेते थे अपने शहर का
सत्तर का दशक और बेस्ट की डबल डेकर बस
न जाने कितने यादों को समेटे हुए
बचपन से जवानी
स्कूल से काॅलेज
वह धमा-चौकड़ी और मस्ती
कंडक्टर की डांट फटकार
सब अंतर्मन में बसे हुए
वह बस ही थी हमारी सबसे बेस्ट B E S T
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