Saturday, 28 October 2023

हासिल क्या

जी रहे थे हम औरों के हिसाब से
जीया नहीं अपने हिसाब से
जब तक समझ आया 
न जाने कितना कुछ बीत गया था
मन के अंदर कुछ दरक गया था
उसको भरना इतना आसान नहीं था
बैठे सबका  हिसाब लगाने लगे
क्या कुछ खोया क्या कुछ पाया
गुणा - गणित किया 
जोड़ा - घटाया 
अचानक लगा 
यह माथापच्ची क्यों 
सही किया या गलत किया
जो भी किया अपनी मर्जी से किया 
कोई दवाब नहीं था 
वह सब सोच कर क्या 
जब सोचना था तब तो न सोचा
तब नहीं तो अब क्यों
इससे हासिल क्या ??

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