कमोबेश सभी पार्टियों का यही हाल है
एक कहानी सुनी थी अपनी माँ से
एक व्यक्ति था उसकी बेटी विवाह योग्य हो गई थी ।कोई अच्छा वर नहीं मिल रहा था । गरीब की बेटी और ऊपर से सुंदर। एक दिन वह परेशान हो बेटी को लेकर निकल गया
चलते चलते दूर निकल गए। वहाँ एक मकान दिखाई दिया रात हो ही रही थी सोचा यहाँ आसरा मिल जाएंगा । अंदर गए तो एक कमरे से किसी के कराहने की आवाज आ रही थी । झांक कर देखा तो एक व्यक्ति जिसके पूरे बदन में सुई चुभी थी व्यक्ति अपनी बेटी को वही छोड़ चला गया
तेरे भाग्य में यही है इसकी सेवा कर और रह ।
युवती रोज नहा - धोकर ईश्वर की पूजा कर दो सुइयां निकालती। इसी तरह महीने बीत गए। अब बस ऑख की सुई निकालनी बाकी थी ।उस घर में एक दासी थी वह यह सब देख रही थी ।उसने क्या किया कि वह भी नहा धोकर , पूजा पाठ कर आखिरी दोनों सुइयां उससे पहले ही निकाली । इस व्यक्ति ने समझा यही है जिसने मेरी सेवा की है आज से यह मेरी दासी नही रानी है।
यह व्यक्ति एक राजा था जिसे शाप मिल गया था ।कहानी आगे भी है पर उस पर चर्चा नहीं
कभी-कभी ऐसा भी होता है करता कोई और है ।सालों
की मेहनत और प्रयास। लाभ किसी और को ।सेहरा किसी और के सिर पर
राजनीति में तो यह अक्सर देखने को मिलता है ।आपने क्या किया यह कोई याद नहीं रखता। आप क्या हैं यह सब याद रखते है। जिसके हाथ में सत्ता उसी का गुणगान।
असली लोग हाशिए पर ।
यह किसी एक पार्टी की बात नहीं है कमोबेश सभी पार्टियों का यही हाल हैं
राजनीति क्या परिवार में भी यही हाल है । लोग चले जाते हैं समय बदल जाता है ।नयी पीढ़ी आ जाती है ।
तुम्हारा किया - धरा सब भुला दिया जाता है।
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