वह बडा हो जाता है
वह बूढा हो जाता है
सोचता है बचपन चला गया
देखा जाएं तो
बचपन कभी जाता ही नहीं है
वह तो हमेशा साथ ही रहता है
मन के कोने में कहीं वह बैठा रहता है
बाहर निकलने की कोशिश करता रहता है
जब वह दोस्तों के साथ बतियाता है
जब वह लोगों के साथ हंसता - खिलखिलाता है
जब वह खाने के लिए ललचाता है
जब वह जिद पर आ जाता है
जब वह किसी की बात नहीं सुनता है
जब वह घुमने को बेताब रहता है
जब उसका घर पर आने को मन नहीं करता
जब वह टेलीविजन के सामने आ खडा हो जाता है
वह भेल पुरी - सेव पुरी चटखारे लेकर खाना चाहता है
घर में कुछ लाए तो उसे भी चाहिए
मिठाई- पकवान का आनंद लेना चाहता है
उसे जीभ पर कंट्रोल करने को कहा जाता है
उम्र की दुहाई दी जाती है
जब वह बच्चों के साथ बच्चा बन जाता है
वह यह भूल जाता है
कि वह बूढ़ा हो गया है
लोग याद दिलाते रहते हैं
उसको उसकी उम्र का
वह सब छोड़ने की कोशिश करता है
छोड़ जो नहीं पाता
बचपन में जो आदत डाली गई है
वह कैसे छूट सकती है
वह दबायी जाती है
खत्म नहीं होती
हर व्यक्ति मन से बच्चा ही होता है
बचपन भले चला जाए
बचपना कायम रहता है
सही भी है
मन तो बच्चा है जी ।
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