यह समझना बेवकूफी है
नींव के पत्थर हैं हम
एक पत्थर अगर खिसकी
पूरी इमारत ढह पडेगी
जानते हैं आपकी महत्ता
आपके जितने तो नहीं
पर कम हम भी नहीं
हाथी तो नहीं
चींटी तो है
विशालकाय को पूरा डांवाडोल करने की ताकत है
नल - नील तो नहीं समुंदर पर पुल बांध दे
वह गिलहरी तो है जो बालू का अंबार लगा दे
अर्जुन तो नहीं हैं जो रथ को कोसों पीछे कर दे
कर्ण तो हैं
जो दो इंच ही सही त्रिलोक के स्वामी वाले अर्जुन के रथ को पीछे कर दे
विशाल समुंदर तो नहीं
एक कंकड़ तो है जो उसमें हलचल उत्पन्न कर दे
विशालकाय वृक्ष तो नहीं
एक गमले में लगी तुलसी तो हैं
ज्यादा अपेक्षा तो नहीं
इतना तो जरूर है
जब मिलो तो सम्मान और प्यार से
जो तुम हमसे चाहते हो
वही हम भी तो तुमसे चाहते हैं।
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